LYRIC
छाया मेरी उम्मीद की
दुनिया में अंधेरा
अब ये किसे मालूम है
कब होगा सवेरा
छाया मेरी उम्मीद की
दुनिया में अंधेरा
अब ये किसे मालूम है
कब होगा सवेरा
खो जाए न मिल कर
कही उल्फ़त का खज़ाना
कही उल्फ़त का खज़ाना
खो जाए न मिल कर
कही उल्फ़त का खज़ाना
रह जाए न लूट कर कही
अरमानो का डेरा
अब ये किसे मालूम है
कब होगा सवेरा
खिलने भी न पायी
अभी कलियाँ मेरे दिल की
अभी कलियाँ मेरे दिल की
खिलने भी न पाई
अभी कलियाँ मेरे दिल की
दिल तोड़ के ग़म ने किया
पहलू में बसेरा
अब ये किसे मालूम है
कब होगा सवेरा
सुनता नहीं कोई
किसे में जा के सुनाऊँ
किसे में जा के सुनाऊँ
सुनता नहीं कोई
किसे में जा के सुनाऊँ
दुःख-दर्द में डूबा हुआ
अफसाना है मेरा
अब ये किसे मालूम है
कब होगा सवेरा
छाया मेरी उम्मीद की
दुनिया में अंधेरा
अब ये किसे मालूम है
कब होगा सवेरा.